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रविवार, 6 सितंबर 2020

नव गीत: क्या?, कैसा है?

नव गीत:   क्या?, कैसा है?...   संजीव 'सलिल' * क्या?, कैसा है? कम लिखता हूँ, अधिक समझना... * पोखर सूखे, पानी प्यासा. देती पुलिस चोर को झाँसा. सड़ता-फिंकता अन्न देखकर खेत, कृषक, खलिहान रुआँसा. है गरीब की किस्मत, बेबस भूखा मरना. क्या?, कैसा है? कम लिखता हूँ, अधिक समझना... * चूहा खोजे मिले न दाना. सूखी चमड़ी तन पर बाना. कहता: 'भूख नहीं बीमारी'. अफसर-मंत्री सेठ मुटाना. न्यायालय भी छलिया लगता. माला जपना. क्या?, कैसा है? कम लिखता हूँ, अधिक समझना... * काटे जंगल, भू की बंजर. पर्वत खोदे, पूरे सरवर. नदियों में भी शेष न पानी. न्यौता मरुथल हाथ रहे मल. जो जैसा है जब लिखता हूँ देख-समझना. क्या?, कैसा है? कम लिखता हूँ, अधिक समझना... *****************

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