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बुधवार, 9 सितंबर 2020

मालवी संजा गीत मनोरमा जोशी

मालवी  संजा गीत
मनोरमा जोशी
*
हमारी लोकसंस्कृति संझा के गीत ।
यह गीत श्राद्ध मे सोलह दिन गाये जाते है।
लड़कियां दीवार पर गोबर से इसे बनाती है ।
और शाम को आरती भोग लगाकर गीत गाती है ।

संझा ब ई जीम ले चूठ ले
मे जिमाऊ सारी रात ,
फूला लाड़ु भरी रे परात ,
चंमंक चादनी सी रात ।
संझा जीमले ।
संझा बाई तम तमारे घरें
जाव ,
तमारी माय मारेगी कने कूटेगी ,
चांद गयो गुजरात ,
हिरनी का बड़ा बड़ा दांत
के छोरा छोरी डरपेगा जी
ड़रपेगा ।

संझा बाई का लाड़ाजी ,
लुगड़ो लाया जाड़ाजी ,
असो कसो लाया ,दारी का ,
लाता गोट किनारी का ।
***

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