कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

यमक दोहा

दोहा सलिला:
दोहा-दोहा यमकमय
संजीव
*
चरखा तेरी विरासत, ले चर खा तू देश
किस्सा जल्दी ख़त्म कर, रहे न कुछ भी शेष
*
नट से करतब देखकर, राधा पूछे मौन
नट मत, नटवर! नट कहाँ?, कसे बता कब कौन??
*
देख-देखकर शकुन तला, गुझिया-पापड़ आज
शकुनतला-दुष्यंत ने, हुआ प्रेम का राज
*
पल कर, पल भर भूल मत, पालक का अहसान
पालक सम हरियाएगा, प्रभु का पा वरदान
*
नीम-हकीम न नीम सम, दे पाते आरोग्य
ज्यों अयोग्य में योग्य है, किन्तु न सचमुच योग्य
*
३-९-२०१३
Sanjiv verma 'Salil'
salil.sanjiv@gmail.com

कोई टिप्पणी नहीं: