कुल पेज दृश्य

शनिवार, 2 मई 2020

कुण्डलिया

एक कुण्डलिया 
दिल्ली का यशगान ही, है इनका अस्तित्व
दिल्ली-निंदा ही हुआ, उनका सकल कृतित्व
उनका सकल कृतित्व, उडी जनगण की खिल्ली
पीड़ा सह-सह हुई तबीयत जिसकी ढिल्ली
संसद-दंगल देख, दंग है लल्ला-लल्ली
तोड़ रहे दम गाँव, सज रही जमकर दिल्ली
***
२-५-२०१७

कोई टिप्पणी नहीं: