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मंगलवार, 12 मई 2020

दोहा

एक दोहा
*
जब चाहा संवाद हो, तब हो गया विवाद
निर्विवाद में भी मिला, हमको छिपा विवाद.
सलिल बर्बाद हुए हम 
नहीं आबाद सखे हम 
१२-५-२०१५

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