कुल पेज दृश्य

रविवार, 3 मई 2020

लघुकथा


लघुकथा 
जंगल में जनतंत्र - 

आचार्य संजीव वर्मा "सलिल" 
जंगल में चुनाव होनेवाले थे। मंत्री कौए जी एक जंगी आमसभा में सरकारी अमले द्वारा जुटाई गयी भीड़  के आगे भाषण दे रहे थे- 'जंगल में मंगल के लिए आपस का दंगल बंद कर एक साथ मिलकर उन्नति की रह पर क़दम रखिये। सिर्फ़ अपना नहीं सबका भला सोचिये।' 
मंत्री जी! लाइसेंस दिलाने के लिए धन्यवाद। आपके काग़ज़ घर पर दे आया हूँ। '-  भाषण के बाद चतुर सियार ने बताया।
*

कोई टिप्पणी नहीं: