मुक्तक
कभी अंकित, कभी टंकित, कभी शंकित रहे हैं
कभी वन्दित, कभी निन्दित, कभी चर्चित रहे हैं
नहीं चिंता किसी ने किस तरह देखा-दिखाया
कभी गुंजित, कभी हर्षित, कभी प्रमुदित रहे हैं
*
कभी अंकित, कभी टंकित, कभी शंकित रहे हैं
कभी वन्दित, कभी निन्दित, कभी चर्चित रहे हैं
नहीं चिंता किसी ने किस तरह देखा-दिखाया
कभी गुंजित, कभी हर्षित, कभी प्रमुदित रहे हैं
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