मुक्तक 
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मन में लड्डू फूटते आया आज बसंत 
गजल कह रही ले मजा लाया आज बसंत 
मिली प्रेरणा शाल को बोली तजूं न साथ 
सलिल साधना कर सतत छाया आज बसंत
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वंदना है, प्रार्थना है, अर्चना बसंत है
साधना-आराधना है, सर्जना बसंत है 
कामना है, भावना है, वायदा है, कायदा है 
मत इसे जुमला कहो उपासना बसंत है
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