एक घनाक्षरी:
एक सुर में गाइए.....
संजीव 'सलिल'
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नया या पुराना कौन?, कोई भी रहे न मौन,
करके अछूती बात, दिल को छू जाइए.
छंद है 'सलिल'-धार, अभिव्यक्ति दें निखार,
शब्दों से कर सिंगार, रचना सजाइए..
भाव, बिम्ब, लय, रस, अलंकार पञ्चतत्व,
हो विदेह देह ऐसी, कविता सुनाइए.
रसखान रसनिधि, रसलीन करें जग,
आरती सरस्वती की, साथ मिल गाइए..
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