गले मिले दोहा यमक
*
काहे को रोना मचा, जीना किया हराम
कोरोना परदेश से, लाये ख़ास न आम
बिना सिया-सत सियासत, है हर काम सकाम
काम तमाम न काम का, बाकि काम तमाम
हेमा की तस्वीर से, रोज लड़ाते नैन
बीबी दीखते झट कहें हे माँ, मन बेचैन
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो कल का राज..
***
संजीव
९४२५१८३२४४
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काहे को रोना मचा, जीना किया हराम
कोरोना परदेश से, लाये ख़ास न आम
बिना सिया-सत सियासत, है हर काम सकाम
काम तमाम न काम का, बाकि काम तमाम
हेमा की तस्वीर से, रोज लड़ाते नैन
बीबी दीखते झट कहें हे माँ, मन बेचैन
बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..
देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो कल का राज..
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संजीव
९४२५१८३२४४
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