कुल पेज दृश्य

रविवार, 5 अप्रैल 2020

गले मिले दोहा यमक

गले मिले दोहा यमक
*
काहे को रोना मचा, जीना किया हराम
कोरोना परदेश से, लाये ख़ास न आम

बिना सिया-सत सियासत, है हर काम सकाम
काम तमाम न काम का, बाकि काम तमाम

हेमा की तस्वीर से, रोज लड़ाते नैन
बीबी दीखते झट कहें हे माँ, मन बेचैन

बौरा-गौरा को नमन, करता बौरा आम.
खास बन सके, आम हर, हे हरि-उमा प्रणाम..

देख रहा चलभाष पर, कल की झलकी आज.
नन्हा पग सपने बड़े, कल हो कल का राज..
***
संजीव
९४२५१८३२४४

कोई टिप्पणी नहीं: