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शनिवार, 4 मई 2019

दोहा

दोहा दुनिया 

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गला न घोंटें छंद का, बंदिश लगा अनेक. 
सहज गेय जो वह सही, माने बुद्धि-विवेक.

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कुछ अपनी कुछ और की, बात लीजिए मान.
नहीं किसी भी एक ने, पाया पूरा ज्ञान.
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कुछ अपनी कुछ और की, बात लीजिए मान.
नहीं किसी भी एक ने, पाया पूरा ज्ञान.
ओ शो मत कर; खुश रहो, ओशो का संदेश.
व्यर्थ रूढ़ि मत मानना, सुन मन का आदेश.
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कुछ सुनना; कुछ सुनाना, तभी बनेगी बात.
अपने-अपने तक रहे, सीमित क्यों जज़्बात?
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सुन ओशो की देशना, तृप्त करें मन-प्यास. 
कुंठाओं से मुक्त हो, रखें अधर पर हास.
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ओ' शो करना जरूरी, तभी सके जग देख. 
मन की मन में रहे तो, कौन कर सके लेख?
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