बाल कविता:
कोयल-बुलबुल की बातचीत
संजीव 'सलिल'
*
कुहुक-कुहुक कोयल कहे: 'बोलो मीठे बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..
यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
चहक-चहक बुलबुल कहे: 'बोल न, पहले तोल'..
यह बोली: 'प्रिय सत्य कह, कड़वी बात न बोल'.
वह बोली: 'जो बोलना उसमें मिसरी घोल'.
इसका मत: 'रख बात में कभी न अपनी झोल'.
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..
इसके डैने कर रहे नभ में तैर किलोल.
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..
यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot. com
http://hindihindi.in
उसका मत: 'निज गुणों का कभी न पीटो ढोल'..
वह फुदके टहनियों पर, कहे: 'कहाँ भू गोल?'..
यह पूछे: 'मानव न क्यों करता सच का मोल.
वह डांटे: 'कुछ काम कर, 'सलिल' न नाहक डोल'..
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
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4 टिप्पणियां:
drdeepti25@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
शिक्षाप्रद और बहुत सुन्दर बालकविता !
बधाई..!
सादर,
दीप्ति
sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com avyadhara
आ० आचार्य जी,
अति सुन्दर बाल-दोहे ! साधुवाद
सादर
कमल
Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आदरणीय आचार्य जी ,प्रेरणास्पद बाल दोहे मन को भाये !नमन
सादर संतोष भाऊवाला
kusumsinha2000@yahoo.com ekavita
priy salil ji
aapki rachnao ki jitni bhi tarif karun kam hi hoga bahut khub bahut sundar aur navinata liye bhi
kusum
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