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बुधवार, 13 जून 2012

मुक्तिका: गान है बचा -- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:गान है बचा
संजीव 'सलिल'
*



*विस्मय यही है अब तलक ईमान है बचा
दर्पण बता रहा है कि इन्सान है बचा..

बेमौत छंद मर गया, थी घोषणा हुई.
गीतों की लय, गज़ल का उन्वान है बचा.


विरसे में जो मिला वो कबाड़ा लगा जिन्हें
उनके लबों पे अब भी एक पान है बचा.

हर कोई कह रहा है, सुनता न कोई भी
लब कह रहा कि कैसे कहें कान है बचा.

संसद में मौन कोयलों से काग कह रहे
देखो हमारी दम से 'सलिल' गान है बचा.

***
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

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