बालगीत:
बिल्ली रानी
प्रणव भारती
*
*
एक थी प्यारी बिल्ली रानी,
प्रणव भारती
*
*
एक थी प्यारी बिल्ली रानी,
शानदार जैसे महारानी|
रोज़ मलाई खाती थी वह,
मोटी होती जाती थी वह|
एक दिन सोचा व्रत करती हूँ
वजन घटाकर कम करती हूँ|
बिल्ली ने उपवास किया,
काम न कुछ भी खास किया|
कुछ भी दिन भर ना खाया ,
उसको फिर चक्कर आया|
मुश्किल उसको बड़ी हुई,
चुहिया देखी खड़ी हुई|
भागी चुहिया के पीछे ,
धम से गिरी छत से नीचे|
चुहिया तो थी भाग गई,
पर बिल्ली की टांग गई|
हाय-हाय कर खड़ी हुई,
बारिश की थी झड़ी हुई|
डॉक्टर को जब दिखलाया,
इंजेक्शन भी टुंचवाया|
चीखी चिल्लाई रोयी.
दूध-दवा खाई, सोयी|
"लालच में न आउंगी,
दूध-दवा खाई, सोयी|
"लालच में न आउंगी,
अब चूहा ना खाऊँगी "
कसरत रोज़ करूंगी अब ,
मोटी नहीं बनूंगी अब |
बच्चों! करो न तुम लालच,
देखो बिल्ली की हालत|
कसरत नित करते रहना,
स्वास्थ्य खरा सच्चा गहना||
******
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें