कुल पेज दृश्य

रविवार, 24 जून 2012

बालगीत: बिल्ली रानी --प्रणव भारती

बालगीत:
बिल्ली रानी
प्रणव भारती

*
 






*


एक थी प्यारी बिल्ली रानी,
शानदार जैसे महारानी|
रोज़ मलाई खाती थी वह,
मोटी होती जाती थी वह|
एक दिन सोचा व्रत करती हूँ 
वजन घटाकर कम करती हूँ|

बिल्ली ने उपवास किया,
काम न कुछ भी खास किया|
कुछ भी दिन भर ना खाया ,
उसको  फिर चक्कर आया|
मुश्किल उसको बड़ी हुई,
चुहिया देखी खड़ी हुई|

भागी चुहिया के पीछे ,
धम से गिरी छत से नीचे|
चुहिया तो थी भाग गई,
पर बिल्ली की टांग गई|
हाय-हाय कर खड़ी हुई,
बारिश की थी झड़ी हुई|

डॉक्टर को जब दिखलाया,
इंजेक्शन भी टुंचवाया|
चीखी चिल्लाई रोयी.
दूध-दवा खाई, सोयी|
"लालच में न आउंगी,

अब चूहा ना खाऊँगी "




कसरत रोज़ करूंगी अब ,
मोटी नहीं बनूंगी अब  |
बच्चों! करो न तुम लालच,
देखो बिल्ली की हालत|
कसरत नित करते रहना,
स्वास्थ्य खरा सच्चा गहना||

******

कोई टिप्पणी नहीं: