श्री गणेश स्मरण
हिंदी पद्यानुवाद : संजीव 'सलिल'
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प्रातः स्मरामि गणनाथमनाथ बन्धुं, सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मं
उद्दंडविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्डमाखण्डलादि सुरनायकवृन्दवन्द्यं
दीनबंधु गणपति नमन, सुबह सुमिर नत माथ.
शोभित गाल सिँदूर से, रखिए सिर पर हाथ..
विघ्न निवारण हित हुए, देव दयालु प्रचण्ड.
सुर-सुरेश वन्दित प्रभो, दें पापी को दण्ड..
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प्रातर्नमामि चतुराननवन्द्यमानमिच्छानुकूलमखि
त तुन्दिलं द्विरसनाधिपयज्ञसूत्रं पुत्रं विलासचतुरं शिवयो: शिवाय
ब्रम्ह चतुर्भुज प्रात ही, करें वंदना नित्य.
मनचाहा वर दास को, देवें देव अनित्य..
उदार विशाल जनेऊ है, सर्प महाविकराल.
कीड़ाप्रिय शिव-शिवा सुत, नमन करूँ हर काल..
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प्रातर्भजाम्यभयदं खलु भक्तशोकदावानलं गणविभुं वरकुंजरास्यं
अज्ञानकाननविनाशनहव्यवाहमुत्सा
शोक हरें दावाग्नि बन, अभय प्रदायक दैव.
गणनायक गजवदन प्रिय, रहिए सदय सदैव..
जड़ जंगल अज्ञान का,करें अग्नि बन नष्ट.
शंकरसुत वंदन-नमन, दें उत्साह विशिष्ट..
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श्लोकत्रयमिदं पुण्यं सदा साम्राज्यदायकं
प्रातरुत्थाय सततं यः पठेत प्रयते पुमान
नित्य प्रात उठकर पढ़ें, यह पावन श्लोक.
सुख-समृद्धि पायें अमित, भू पर हो सुरलोक..
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श्री गणेश पूजन मंत्र
हिंदी पद्यानुवाद: संजीव 'सलिल'
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गजानना पद्मर्गम गजानना महिर्षम
अनेकदंतम भक्तानाम एकदंतम उपास्महे
हिंदी पद्यानुवाद: संजीव 'सलिल'
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गजानना पद्मर्गम गजानना महिर्षम
अनेकदंतम भक्तानाम एकदंतम उपास्महे
कमलनाभ गज-आननी, हे ऋषिवर्य महान.
करें भक्त बहुदंतमय, एकदन्त का ध्यान..
गजानना = हाथी जैसे मुँहवाले, पद्मर्गम = कमल को नाभि में धारण करने वाले अर्थात जिनका नाभिचक्र शतदल कमल की तरह पूर्णता प्राप्त है, महिर्षम = महान ऋषि के समतुल्य, अनेकदंतम = जिनके दाँत दान हैं, भक्तानाम भक्तगण, एकदंतम = जिनका एक दाँत है, उपास्महे = उपासना करता हूँ.
करें भक्त बहुदंतमय, एकदन्त का ध्यान..
गजानना = हाथी जैसे मुँहवाले, पद्मर्गम = कमल को नाभि में धारण करने वाले अर्थात जिनका नाभिचक्र शतदल कमल की तरह पूर्णता प्राप्त है, महिर्षम = महान ऋषि के समतुल्य, अनेकदंतम = जिनके दाँत दान हैं, भक्तानाम भक्तगण, एकदंतम = जिनका एक दाँत है, उपास्महे = उपासना करता हूँ.
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