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सोमवार, 23 नवंबर 2009

शोकगीत: नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ? संजीव 'सलिल'

पूज्य मातुश्री स्व. शांति देवि जी की प्रथम बरसी पर शोकगीत:

नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ?

संजीव 'सलिल'

नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
छीन लिया क्यों
माँ को तुमने?
कितना तुम्हें
मनाया हमने?
रोग मिटा कर दो
निरोग पर-
निर्मम उन्हें
उठाया तुमने.
करुणासागर!
दिया न साथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
मैया तो थीं
दिव्य-पुनीता.
मन रामायण,
तन से गीता.
कर्तव्यों को
निश-दिन पूजा.
अग्नि-परीक्षा
देती सीता.
तुम्हें नवाया
निश-दिन माथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
हरी! तुमने क्यों
चाही मैया?
क्या अब भी
खेलोगे कैया?
दो-दो मैया
साथ तुम्हारे-
हाय! डुबा दी
क्यों फिर नैया?
उत्तर दो मैं
जोडूँ हाथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*

11 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari, Canada … ने कहा…

Udan Tashtari, Canada …
माता जी की पुण्य आत्मा को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!

योगेश स्वप्न … ने कहा…

matri naman.

Kusum Thakur ने कहा…

माता जी को मेरी श्रधांजलि .

अजित वडनेरकर ने कहा…

दिवंगत आत्मा को नमन

निर्मला कपिला ने कहा…

माता जी को विन्म्र श्रद्धाँजली

Kusum Thakur ने कहा…

kavita padhkar bhav vihval ho gayee
bahut hi bhav poorn laga
maine tippani di par jyada kuchh nahii likh payee

जबलपुर-ब्रिगेड ... ने कहा…

जबलपुर-ब्रिगेड ...
मातु श्री को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है

बवाल ... ने कहा…

बवाल ...
माताजी को हमारी ओर से श्रद्धांजली।

ताऊ रामपुरिया ... ने कहा…

माताजी को विनम्र श्रद्धांजली.

रामराम.

रचना दीक्षित ने कहा…

बधाई स्वीकारें इस सुन्दर प्रस्तुति पर.
बहुत भावुक कर गयी आपकी यह कृति.
मेरी एक कविता 'आज भी' एक माँ पर ही है पर वो माँ की वेदना व्यक्त कर रही है. समय मिले तो जरूर देखें.

Rajey Sha … ने कहा…

नाथ मुझे क्‍यों कि‍या अनाथ,
छोटी सी कवि‍ता में लंबी बात।