पूज्य मातुश्री स्व. शांति देवि जी की प्रथम बरसी पर शोकगीत:
नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ?
संजीव 'सलिल'
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
छीन लिया क्यों
माँ को तुमने?
कितना तुम्हें
मनाया हमने?
रोग मिटा कर दो
निरोग पर-
निर्मम उन्हें
उठाया तुमने.
करुणासागर!
दिया न साथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
मैया तो थीं
दिव्य-पुनीता.
मन रामायण,
तन से गीता.
कर्तव्यों को
निश-दिन पूजा.
अग्नि-परीक्षा
देती सीता.
तुम्हें नवाया
निश-दिन माथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
हरी! तुमने क्यों
चाही मैया?
क्या अब भी
खेलोगे कैया?
दो-दो मैया
साथ तुम्हारे-
हाय! डुबा दी
क्यों फिर नैया?
उत्तर दो मैं
जोडूँ हाथ.
नाथ ! मुझे क्यों
किया अनाथ?...
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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सोमवार, 23 नवंबर 2009
शोकगीत: नाथ मुझे क्यों / किया अनाथ? संजीव 'सलिल'
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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11 टिप्पणियां:
Udan Tashtari, Canada …
माता जी की पुण्य आत्मा को नमन एवं श्रृद्धांजलि!!
matri naman.
माता जी को मेरी श्रधांजलि .
दिवंगत आत्मा को नमन
माता जी को विन्म्र श्रद्धाँजली
kavita padhkar bhav vihval ho gayee
bahut hi bhav poorn laga
maine tippani di par jyada kuchh nahii likh payee
जबलपुर-ब्रिगेड ...
मातु श्री को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित है
बवाल ...
माताजी को हमारी ओर से श्रद्धांजली।
माताजी को विनम्र श्रद्धांजली.
रामराम.
बधाई स्वीकारें इस सुन्दर प्रस्तुति पर.
बहुत भावुक कर गयी आपकी यह कृति.
मेरी एक कविता 'आज भी' एक माँ पर ही है पर वो माँ की वेदना व्यक्त कर रही है. समय मिले तो जरूर देखें.
नाथ मुझे क्यों किया अनाथ,
छोटी सी कविता में लंबी बात।
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