दुखद स्थिति है कि जब हिन्दी को राष्ट्र भाषा के रूप में जन मान्यता मिलनी थी तब भाषाई राजनीति की गई और यह संवैधानिक व्यवस्था हो गई कि जब तक एक भी राज्य नही चाहेगा तब तक हिन्दी वैकल्पिक बनी रहेगी .. विगत वर्षो में ग्लोबलाइजेशन के नाम पर अंग्रेजी को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिला और हिन्दी उपेक्षित होति गई .. पर अब जरूरी है कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना जावे जिससे सभी भारत वासी हिन्दी जाने समझें .. यह तो मानना ही पड़ेगा कि चाहे देवगौड़ा हो या सोनिया ..इस देश से जुड़ने के लिये सबको हिन्दी सीखनी ही पड़ी है .
vivek ranjan shrivastava...jabalpur
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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शनिवार, 5 सितंबर 2009
जरूरी है कि गैर हिन्दी भाषी राज्यों में हिन्दी को अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाना जावे
सामाजिक लेखन हेतु ११ वें रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार से सम्मानित .
"रामभरोसे", "कौआ कान ले गया" व्यंग संग्रहों ," आक्रोश" काव्य संग्रह ,"हिंदोस्तां हमारा " , "जादू शिक्षा का " नाटकों के माध्यम से अपने भीतर के रचनाकार की विवश अभिव्यक्ति को व्यक्त करने का दुस्साहस ..हम तो बोलेंगे ही कोई सुने न सुने .
यह लेखन वैचारिक अंतर्द्वंद है ,मेरे जैसे लेखकों का जो अपना श्रम, समय व धन लगाकर भी सच को "सच" कहने का साहस तो कर रहे हैं ..इस युग में .
लेखकीय शोषण , व पाठकहीनता की स्थितियां हम सबसे छिपी नहीं है , पर समय रचनाकारो के इस सारस्वत यज्ञ की आहुतियों का मूल्यांकन करेगा इसी आशा और विश्वास के साथ ..
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2 टिप्पणियां:
one of the south indian language must be taught in north india
desh ke ahindibhashiyon se judne ke liye ham hindibhashi unki koee bhasha kyon nhaeen seekhate? kya ekta ki pooree zimmedari unheen ki hai?
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