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बुधवार, 23 सितंबर 2009

चिंतन कण: शिवानन्द वाणी

चिंतन कण: शिवानन्द वाणी

अपने दैवी वैभवों को पहचानो। ब्रह्म की महिमा का अनुभव करो।
अपनी स्वतन्त्रता, अपना सच्चिदानन्द स्वभाव, अपना महाकेन्द्र,
आदर्श और लक्ष्य कभी न भूलो। उस प्रकाश, ज्ञान, प्रेम, शान्ति,
सुख और आनन्द के समुंद्र में सदा आनन्दमग्न रहो।

ASSERT YOUR DIVINE MAJESTY. RECOGNISE THE
BRAHMIC GLORY. REALISE YOUR FREEDOM AND
SATCHIDANANDA NATURE, YOUR CENTRE, IDEAL,
GOAL AND HERITAGE. REST IN THAT OCEAN OF
LIGHT, KNOWLEDGE, LOVE, PEACE, JOY AND BLISS
(Swami Sivananda)

3 टिप्‍पणियां:

anchit nigam ने कहा…

heart touching message

संजय भास्‍कर ने कहा…

सभी को विजयादशमी की मंगल कामनाएं |

बहुत ही सार्थक दोहें हैं |

Shanno Aggarwal ने कहा…

बहुत सुंदर! इन आदर्शों को प्राप्त करने की ईश्वर हमें शक्ति दें.