चिंतन कण: शिवानन्द वाणी
अपने दैवी वैभवों को पहचानो। ब्रह्म की महिमा का अनुभव करो।
अपनी स्वतन्त्रता, अपना सच्चिदानन्द स्वभाव, अपना महाकेन्द्र,
आदर्श और लक्ष्य कभी न भूलो। उस प्रकाश, ज्ञान, प्रेम, शान्ति,
सुख और आनन्द के समुंद्र में सदा आनन्दमग्न रहो।
ASSERT YOUR DIVINE MAJESTY. RECOGNISE THE
BRAHMIC GLORY. REALISE YOUR FREEDOM AND
SATCHIDANANDA NATURE, YOUR CENTRE, IDEAL,
GOAL AND HERITAGE. REST IN THAT OCEAN OF
LIGHT, KNOWLEDGE, LOVE, PEACE, JOY AND BLISS
(Swami Sivananda)
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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बुधवार, 23 सितंबर 2009
चिंतन कण: शिवानन्द वाणी
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आचार्य संजीव वर्मा सलिल
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3 टिप्पणियां:
heart touching message
सभी को विजयादशमी की मंगल कामनाएं |
बहुत ही सार्थक दोहें हैं |
बहुत सुंदर! इन आदर्शों को प्राप्त करने की ईश्वर हमें शक्ति दें.
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