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गुरुवार, 23 दिसंबर 2021

सॉनेट

बाल सॉनेट
भोर
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झाँक झरोखे से सूरज ने कहा जाग जाओ।
उषा किरण आ कर झकझोरे उठो न अब सोना।
बैठ मुँडेरे गौरैया बोले न समय खोना।।
बाँग दे रहा मुर्गा कर प्रभु नमन, मुस्कुराओ।।

धरती माँ को कर प्रणाम, पग धर नभ को देखो।
जड़ें जमीं में जमा खड़ा बरगद बब्बा दे छाँह।
है कमजोर लता, न गिरे थामे है उसकी बाँह।।
कितना ऊँचा उड़ सकते हो, मन ही मन लेखो।

दसों दिशाएँ स्वागत करतीं, बिना स्वार्थ सबका।
आलस तजकर काम करो अपने-सबके मनका।
कठिनाई से हार न मानो, फिर-फिर कोशिश कर।

बहे पसीना-धार तभी आशीष मिले रब का।।
मिले सफलता मत घमंड कर, मोह तजो छिन का।।
राधा-कान्हा सम मुस्काओ, सबको मोहित कर।।
२३-१२-२०२१
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