हाइकु सलिला
*
धरती फ़टी
सिहर गया बीज
ऊगा अंकुर।
*
सलिल मिला
पवन गले लगा
पल्लव उगे।
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रवि रश्मियाँ
लड़ाने लगीं लाड़
फ़ैली शाखाएँ।
*
देखे अदेखे
सपने सुकुमार
कोमल कली।
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गुनगुनाते
भ्रमर मँडराए
कुसुम खिला।
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लगन लगी
वर लिया अद्वैत
सुफल मिला।
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ख़ुशी अनंत
साँसों में बसंत
यात्रा अनंत
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