सॉनेट: सवेरा
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रश्मिरथी जब आते हैं
प्राची पर लाली छाती
पंछी शोर मचाते हैं
उषा नृत्य करती गाती
आँगन में आ गौरैया
उछल-कूदकर फुदक-फुदक
करती है ता ता थैया
झाँक'झाँककर, उचक-उचक
मुर्गा देता बाँग जगो
उठो तुरत शैया त्यागो
ईश्वर से सुख-शांति मँगो
सबमें रब है अनुरागो
करो कलेवा दूध पियो
सौ बरसों तक विहँस जियो
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३-१२-२०२१
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