स्वतंत्रता अमृत महोत्सव गीत ४
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बना जगद्गुरु भारत प्यारा।
जनगण ने मिलकर उच्चारा।।
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साबरमती गवाही देती करे सतत अहसास।
बापू-दाण्डी-नमक लिखें आजादी का इतिहास।।
हुए पचहत्तर साल बढ़ा है देश सतत आगे-
सारी दुनिया को होता है इस सच का आभास।।
भगत-सुभाष आँख का तारा।
आजादी पर तन-मन वारा।।
बना जगद्गुरु भारत प्यारा
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सर्वोदय से अंत्योदय तक मिलकर किया विकास।
शक्ति बढ़ाई युक्ति लड़ाई, जगह बनाई खास।।
सागर धरती अंतरिक्ष पर कदम जमे मजबूत-
सब जग एक कुटुंब हमें है इस सच पर विश्वास।।
सागर ने पग कमल पखारा।
जग कल्याण न कभी बिसारा।।
बना जगद्गुरु भारत प्यारा
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