कवि जी! मत बोलिये 'कविता से प्यार है'
भूले से मत कहें 'इस पे जां निसार है'
जिद्द अब न कीजिए मुश्किल आ जाएगी
कविता का बाप बहुत सख्त थानेदार है
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दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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