कुल पेज दृश्य

शुक्रवार, 26 मार्च 2021

मुक्तिका अर्णव-अरुण

मुक्तिका

*
अर्णव-अरुण का सम्मिलन 
जिस पल हुआ वह खास है
श्री वास्तव में है वहीं
जहँ हर हृदय में हुलास है
श्रद्धा जगत जननी उमा
शंकारि शिव विश्वास है
सद्भाव सलिला है सुखद
मालिन्य बस संत्रास है
मिल गैर से गंभीर रह
अपनत्व में परिहास है
मिथिलेश तन नृप हो भले
मन जनक तो वनवास है
मीरा मनन राधा जतन
कान्हा सुकर्म प्रयास है
***
संजीव
२६-३-२०२०

कोई टिप्पणी नहीं: