क्षणिका
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आमंत्रण है तुम्हें पधारो कोरोना
थके न मिटती रिश्वरखोरी
सुना कर रहे तुम बरजोरी
झटपट आओ,
इसे मिटाओ
सही न जाए कुछ कोरो ना
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संजीव
१३.३.२०२०
९४२५१८३२४४
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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