दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु
A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 8 अक्टूबर 2020
दोहा सलिला
दोहा सलिला-
तन मंजूषा ने तहीं, नाना भाव तरंग मन-मंजूषा ने कहीं, कविता सहित उमंग * आत्म दीप जब जल उठे, जन्म हुआ तब मान श्वास-स्वास हो अमिय-घट, आस-आस रस-खान * सत-शिव-सुंदर भाव भर, रचना करिये नित्य सत-चित-आनन्द दरश दें, जीवन सरस अनित्य *
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