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बुधवार, 12 फ़रवरी 2020

तीन तलाक - दोहे

तीन तलाक - दोहे
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तीन तलाक दीजिए
हर दिन जगकर आप
नफरत, गुस्सा, लोभ को
सुख न सकेंगे नाप
जुमलों धौंस प्रचार को,
देकर तीन तलाक
दिल्ली ने कर दिया है,
थोथा गर्व हलाक
भाव छंद रस बिंब लय
रहे हमेशा साथ
तीन तलाक न दें कभी
उन्नत हो कवि-माथ
आँसू का दरिया कहें,
या पर्वत सा दर्द
तीन तलाक न दे कभी,
कोई सच्चा मर्द
आँखों को सपने दिए,
लब को दी मुस्कान
छीन न तीन तलाक ले,
रखिए पल-पल ध्यान
दिल से दिल का जोड़कर,
नाता हुए अभिन्न
तीन तलाक न पाक है,
बोल न होइए भिन्न
अल्ला की मर्जी नहीं,
बोलें तीन तलाक
दिल दिलवर दिलरुबा का,
हो न कभी भी चाक
जो जोड़ा मत तोड़ना,
नाता बेहद पाक
मान इबादत निभाएँ
बिसरा तीन तलाक
जो दे तीन तलाक वह,
आदम है शैतान
आखिर दम तक निभाए,
नाता गर इंसान
***
संजीव
१२-२-२०२०

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