कुल पेज दृश्य

बुधवार, 30 अक्तूबर 2019

सरस्वती वंदना सोनी सुगंधा

सोनी सुगंधा





जन्म - ५ फरवरी १९८४, आईजवाल।
आत्मजा - श्रीमती पूनम - श्री हरेंद्र नाथ पांडेय।
शिक्षा - एम.ए., बी.एड., एम.बी.ए.
संप्रति- पूर्व शिक्षिका।
प्रकाशित - साझा संकलन में।
उपलब्धि - सहसचिव अखिल भारतीय साहित्य परिषद जमशेदपुर।
संपर्क - आवास क्रमांक एल ५/५९, मार्ग क्रमांक १, एग्रिको, जमशेदपुर 831009 पूर्वी सिंघभूमि, झारखण्ड।
चलभाष - ९५०७८०८९१२।
*

माँ शारद!

माँ शारद! शत बार नमन है,
शत-शत बार नमन है !
तेरे चरण-कमल में मेरे
शब्द-सुमन अर्पण है !

गीतमयी ये निखिल धरा है,
पुस्तक-ज्ञान विवेक भरा है,
नीर-क्षीर का प्रबल पिपासित
वन-मराल यह मन है !

सप्त - सुरों की जननी तू है,
गौरवमय भारत का भू है,
सप्त-सिंधु को मिलता जिससे
जग का अभिनन्दन है !

प्राण-प्राण में तेरा कलरव,
कण-कण में है तेरा वैभव,
तेरी कृपा-वारि से सिंचित
धरती और गगन है!

लोभ-लाभ परवाह नहीं है,
प्रति-उपकारी चाह नहीं है,
जन-जन के जीवन पर ऋण का
अतुलित भार सघन है!

हम दीनों पर सदा सदय हो,
बन्धन हीन साँस निर्भय हो,
समझ सके प्राणी-प्राणी का
मुक्त-अभय तन-मन हो!

उन्नत-पथ पर कदम बढ़ाएँ,
भारत माँ को शीश झुकाएँ ,
मिलता निश्चय केवल तुझसे
जन-जन को जीवन है!

मृग-मरीचिका सबल सताती,
पल-पल भेद नवल उपजाती,
पग-पराग में प्रीति रहे नित
प्राणों में चिंतन है!
*
===================