सरस्वती वंदना
प्रीति डिमरी
जन्म - २१ अगस्त १९७८, देहरादून।
आत्मजा - श्रीमती विनीता - श्री रमेश चंद्र नौटियाल।
जीवन साथी - श्री हरीश डिमरी।
शिक्षा - एम.ए. (अंग्रेजी, गृह विज्ञान), बी.एड.।
संप्रति - अध्यापन।
प्रकाशन - पत्र - पत्रिकाओं में।
उपलब्धि - मातृ गौरव सम्मान।
विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा सर्वश्रेष्ठ कवयित्री सम्मान 2019
संपर्क - पायस डेल स्कूल ए ब्लॉक, सरस्वती विहार, अजबपुर खुर्द, देहरादून।
चलभाष - ९४५८११९७४९। ई-मेल- pritidimripd@gmail.com ।
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गढ़वाली
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
जै माँ सरस्वती।
विद्या की तू देवी च
बुद्धि दे जानी तू।
भलु, बुरु का अंतर
सीखे जानी तू।
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
जै माँ सरस्वती।
उजली साड़ी तेरी
हंसे की च सवारी।
वीणा धारी तू
ब्रह्मा की च नारी तू।
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
जै माँ सरस्वती।
अंधकार नाशिनी तू
ज्ञान कु उजाला दे जानी तू।
कुबुद्धि दूर के कै
सुबुद्धि दे जानी तू।
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
जै माँ सरस्वती।
तेरी शरण मा, मी च
अपडूँ हाथ धेर जा।
मेरी कलम बणें मेरी ताकत
यन आशीर्वाद दे जा।
दैंणी ह्ववै जे,दैंणी ह्ववै जे
जै माँ सरस्वती।
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हिंदी भावानुवाद
कृपा कर,कृपा कर
जय माँ सरस्वती।
विद्या की तू देवी
बुध्दि प्रदायनी है।
भले-बुरे का अंतर
तू सिखलाती है।
कृपा कर,कृपा कर
जय माँ सरस्वती।
धवल वस्त्रधारिणी
हंस की सवारी है।
तू वीणाधारणी
ब्रह्मा की प्यारी है।
कृपा कर,कृपा कर
जय माँ सरस्वती।
अंधकार नाशिनी तू
ज्ञान का उजाला दे।
कुबुद्धि दूर करके
सुबुद्धि दे जाती है।
कृपा कर ,कृपा कर
जय माँ सरस्वती।
तेरी शरण में आई हूँ
वरद हस्त रख दे।
मेरी कलम बने मेरी ताकत
यह वरदान दे जा
कृपा कर,कृपा कर
जय माँ सरस्वती।
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