रश्मि गुप्ता
आत्मजा - श्रीमती प्रकाशा - श्री उद्धव साहेब गुप्ता।
जीवन साथी - रामेश्वर प्रसाद गुप्ता।
शिक्षा - बी.एस सी., एम.ए., बी. एड.।
प्रकाशन - आत्मदर्शन, सियाम मन के सीख, आडियो सी.डी. हमर भुइयां।
उपलब्धि - आकाशवाणी से प्रसारण, साहित्यिक सम्मान।
संपर्क - १५ ओंकार होम्स, राजकिशोर नगर, बिलासपुर ४९५००१।
चलभाष - ९७५५२५२६०५, ब्लॉग - rashmibsp.blogspot.in, ईमेल - rasmiguptapoet@gmail.com।
*
सरस्वती वंदना
(धुन- जशगीत )
सुन लेबे हमरो गोहार, ओ मोर सरस्वती दाई!,
सुन लेबे हमरो गोहार.....
सुन लेबे हमरो गोहार.....
श्वेत बरन तोर लुगरा दाई,
श्वेत बरन तोर हंसा ओ,
तोरे दरस ले पाप धोआये,
कर्मणा वाचा मनसा ओ,
हर लेबे जग के तैं अंधियार ओ मोर सरस्वती दाई!,
हर लेबे जग के अंधियार......
श्वेत बरन तोर हंसा ओ,
तोरे दरस ले पाप धोआये,
कर्मणा वाचा मनसा ओ,
हर लेबे जग के तैं अंधियार ओ मोर सरस्वती दाई!,
हर लेबे जग के अंधियार......
जग ला तैं हर सुघर बनाये,
कंठ ला मधुर बनाए ओ,
फूल-फूल म रूप-रंग म ,
तैं हर राग सजाए ओ,
तहीं बनाए सुघ्घर ये संसार ओ मोर सरस्वती दाई!,
तहीं बनाए सुघ्घर ये संसार.....
कंठ ला मधुर बनाए ओ,
फूल-फूल म रूप-रंग म ,
तैं हर राग सजाए ओ,
तहीं बनाए सुघ्घर ये संसार ओ मोर सरस्वती दाई!,
तहीं बनाए सुघ्घर ये संसार.....
अइसन सुंदर वीणा बजाए,
जग ल तहीं मोहाए ओ,
वेद पुराण अउ रामायण के,
गंगा तहीं बोहाए ओ,
कर देबे हमरो उद्धार ओ मोर सरस्वती दाई!,
कर देबे हमरो उद्धार......
जग ल तहीं मोहाए ओ,
वेद पुराण अउ रामायण के,
गंगा तहीं बोहाए ओ,
कर देबे हमरो उद्धार ओ मोर सरस्वती दाई!,
कर देबे हमरो उद्धार......
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें