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शनिवार, 3 सितंबर 2016

doha salila

दोहा सलिला 
कर माहात्म्य 
*
कर ने कर की नाक में, दम कर छोड़ा साथ 
कर ने कर के शीश पर, तुरत रख दिया हाथ 
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कर ने कर से माँग की, पूरी कर दो माँग
कर ने उठकर झट भरी, कर की सूनी माँग 
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कर न आय पर दिया है, कर देकर हो मुक्त 
कर न आय दे पर करे,  कर कर से संयुक्त 
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कर ने कर के कर गहे, कहा न कर वह बात 
कर ने कर बात सुन, करी अनसुनी-  घात
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कर कइयों के साथ जा, कर ले आया साथ 
कर आकर सब कुछ हुई, कर हो गया अनाथ 
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दरवाजे पर थाप कर,  जमा लिए निज पाँव 
कर ने कर समझ नहीं, हार गया हर दाँव 
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कार छीन कर ने किया, कर को जब बेकार
बेबस कर बस से गया, करि हार स्वीकार    
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'दे कर',  'ले कर' कर रहे, कर-कर मिल संवाद 
कर अधिकारी से करें, कम कर की फरियाद 
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कर-करतब दिखला करे, सर हर अवसर मीत 
रहे न कर की कैद में, 'सलिल' हार या जीत?
*
दे जवाब कर ने कहा, कर ने छोड़ लिहाज
लाजवाब कर को किया, कर ने बना रिवाज 
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