कुल पेज दृश्य

बुधवार, 28 सितंबर 2016

doha

एक दोहा-
*
जब चाहा स्वामी लगा, जब चाहा पग-दास 
कभी किया परिहास तो, कभी दिया संत्रास
*

कोई टिप्पणी नहीं: