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सोमवार, 18 जून 2012

अभिनव बाल गीत: -- संजीव 'सलिल'

अभिनव बाल गीत:




संजीव 'सलिल'



*
शशि सा सुन्दर मुख मिला,
मेघ राशि से बाल.
बाल गीत रच बाल पर,
सचमुच 'सलिल' निहाल..
*




*
लहर लहर लहरा रहे, बाल पवन संग झूम.
गीत, गजल लिखता गगन, तुमको क्या मालूम.




केशव कईसन अस करी, अस कबहूँ न कराय.
नाना बाबा आह भर, बालों पर बलि जांय..



नागिन सम बल खा रहे,
बाल बुला भूचाल.
सर्वनाम होते फ़िदा,
संज्ञा करें धमाल..


 





 बाल हाल बतला रहे, पिया डालते तेल.
हौले-हौले गूंथते, रूचि-रूचि पोनीटेल.




बाल-बाल बच बाल से, बनते बाल बवाल..
ग्वाल-बाल की फ़ौज लख, हों अरमान निढाल..



क्रोध प्रिया का देखकर,
खड़े पिया के बाल.
राम बचाएं लग रहा,
घर जी का जंजाल..  
*




Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in



8 टिप्‍पणियां:

PRAN SHARMA ने कहा…

` BAAL ` PAR HEE ITNE SAARE DOHE !
BAALON KEE MAHIMA BADEE NYAAREE AUR
PYAAREE LAGEE HAI

- kanuvankoti@yahoo.com ने कहा…

- kanuvankoti@yahoo.com

आदरणीय संजीव जी,

आपका 'बाल गीत'आज सच्चे अर्थों में बाल गीत है. सुन्दर चेहरों की छवियाँ और उड़ते हुए रेशमी केश... क्या कहने आपकी रचनाशीलता के.
बारम्बार दाद के साथ,
अति प्रसन्न और मुदित
कनु

indira pratap ने कहा…

-pindira77@yahoo.co.in

bal sulabh yh giit, bal par bali bali jauun, bikhre uljhe bal kahan inko le jauun.sundar ati sunder ,alankaron ka prayog.badhai

Regards,

Indira Sharma

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


आ० आचार्य जी
बालों के सौन्दर्य के विभिन्न रूपों और उनके आकर्षणों का सचित्र वर्णन मनोहर है | आपकी लेखनी को नमन !
सादर,
कमल

kusum sinha ✆ ekavita ने कहा…

kusum sinha ✆ ekavita

priy sanjiv ji

aajkal to aap kamal hi kamal kar rahe hain prerna shrot kaun hai kya bhabhi ji? ki koi aur hai? vaise to aap hamesha bahut sundar likhte rahe hain lekin aajkal to alag alag field me bhi ghum rahe hain kya bat hai?
kusum

Rakesh Khandelwal ✆ ekavita ने कहा…

Rakesh Khandelwal ✆ ekavita

मेघद्दोत अलकों में जब जब उलझ गया कोई चंचल मन
तब तब ही लहएराईं घटायें, तब तब ही तो बरसा सावन.

आपकी रचनाधर्मिता को सादर नमन.
राकेश

santosh kumar ✆ ने कहा…

ksantosh_45@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com ekavita
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वाह सलिल जी ! कमाल कर दिया आपने। जादू है आपकी कलम में।
जी चाहता है कलम चूम लूँ। बहुत-बहुत बधाई।
सन्तोष कुमार सिंह

Divya Narmada ने कहा…

आपका आदेश शिरोधार्य, हाज़िर है रहस्य-
मिले कुसुम से प्रेरणा, दीप्त किरण का रंग.
बिम्ब देख राकेश का, सलिल साधना दंग..