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शनिवार, 28 अगस्त 2021

दोहा सलिला कर माहात्म्य

दोहा सलिला
कर माहात्म्य
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कर ने कर की नाक में, दम कर छोड़ा साथ
कर ने कर के शीश पर, तुरत रख दिया हाथ
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कर ने कर से माँग की, पूरी कर दो माँग
कर ने उठकर झट भरी, कर की सूनी माँग
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कर न आय पर दिया है, कर देकर हो मुक्त
कर न आय दे पर करे, कर कर से संयुक्त
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कर ने कर के कर गहे, कहा न कर वह बात
कर ने कर बात सुन, करी अनसुनी- घात
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कर कइयों के साथ जा, कर ले आया साथ
कर आकर सब कुछ हुई, कर हो गया अनाथ
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दरवाजे पर थाप कर, जमा लिए निज पाँव
कर ने कर समझ नहीं, हार गया हर दाँव
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कार छीन कर ने किया, कर को जब बेकार
बेबस कर बस से गया, करि हार स्वीकार
२८-८-२०१६
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