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मंगलवार, 24 अगस्त 2021

देशफरोश

गीत
बेचता हूँ
संजीव
*
ले लो हुजूर मैं देश बेचता हूँ
जो शर्म बची है शेष बेचता हूँ
*
बोली बोलो बढ़-चढ़कर तुम यारों
मत झिझको-हिचको किंचित भी प्यारों
पंडे झंडे डंडे जो चाहो लो
मंदिर मस्जिद गिरिजा अरु गुरुद्वारों
ईमान धर्म अवशेष बेचता हूँ
ले लो हुजूर मैं देश बेचता हूँ
*

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