हाइकु
*
जो जमाये हो
धरती पर पैर
उसी की खैर।
*
भू पर पैर
हाथ में आसमान
कोई न गैर।
*
गह ले थाह
तब नदी में कूद
जी भर तैर
*
सब अपने
हैं प्रभु की सृष्टि में
पाल न बैर
*
भुला चिंता
नित्य सबेरे-शाम
कर ले सैर
२१-८-२०१६
*
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें