'शुभ प्रभात'
संजीव 'सलिल'
संजीव 'सलिल'
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खिड़की पर बैठी हुई, मीत गुनगुनी धूप.
'शुभ प्रभात' कह रही है, तुमको हवा अरूप.
चूँ-चूँ कर चिड़िया कहे: 'जगो, हो गयी भोर.
आलस छोडो कह रही है मैया झकझोर.
खड़ी द्वार पर सफलता, उठो, मिलाओ हाथ.
'सलिल' परिश्रम जो करे, किस्मत उसके साथ.
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१३-३-२०१०
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