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'सलिल' बड़ों ने सच कहा, न दो किसी को दोष.
बढ़ो सतत निज राह पर, मन में रख संतोष..
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जब भी पाओ समय तो, करलो तनिक विनोद.
'सलिल' भूलकर फ़िक्र सब, हो आमोद-प्रमोद..
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१३-३-२०१०
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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