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सोमवार, 5 जून 2017

navgeet

नवगीत-
*
एसिड की 
शीशी पर क्यों हो 
नाम किसी का?
*
अल्हड, कमसिन, सपनों को 
आकार मिल रहा। 
 अरमानों का कमल 
यत्न-तालाब खिल रहा।
दिल को भायी कली 
भ्रमर गुंजार करे पर-
मौसम को खिलना-हँसना 
क्यों व्यर्थ खल रहा?
तेज़ाबी बारिश की जिसने 
पात्र मौत का-
एसिड की 
शीशी पर क्यों हो 
नाम किसी का?
*
व्यक्त असहमति करना 
क्या अधिकार नहीं है?
जबरन मनमानी क्या 
 पापाचार नहीं है? 
एसिड-अपराधी को 
 एसिड से नहला दो-
निरपराध की पीर 
 तनिक स्वीकार नहीं है।
क्यों न किया अहसास-
पीड़ितों की पीड़ा का? 
एसिड की 
शीशी पर क्यों हो 
नाम किसी का?
*
अपराधों से नहीं, 
आयु का लेना-देना।
नहीं साधना स्वार्थ, 
 सियासत-नाव न खेना।
दया नहीं सहयोग 
सतत हो, सबल बनाकर-
दण्ड करे निर्धारित 
पीड़ित जन की सेना।
बंद कीजिए नाटक 
खबरों की क्रीड़ा का
एसिड की 
शीशी पर क्यों हो 
नाम किसी का?
*

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