लघु कथा -
न्यायाधीश ने कारण पूछा तो उसने नाट्य की उसके अपराधी बनने के मूल में पिता का अंधा प्यार ही था। बचपन में मामा की शादी में उसने पिता के एक साथी की पिस्तौलसे ११ गोलियाँ चला दी थीं।
पिता ने उसे डाँटने के स्थान पर जाँच करने आये पुलिस निरीक्षक को राजनैतिक पहुँच से रुकवा दिया तथा झूठा बयान दिलवा दिया की उसने खिलौनेवाली पिस्तौल चलायी थी।
पहली गलती पर सजा मिल गयी होती तो वह बात-बात पर पिस्तौल का उपयोग करना नहीं सीखता और आज आजीवन कारावास नहीं पाता।
पिता उसका अपराधी है जिसे दुनिया की कोई अदालत या कानून दोषी नहीं मानेगा इसलिए वह अपने अपराधी को दंडित कर संतुष्ट है, अदालत उसे एक जन्म के स्थान पर दो जन्म का कारावास दे दे तो भी उसे स्वीकार है।
जैसे को तैसा
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कत्ल के अपराध में आजीवन कारावास पाये अपराधी ने न्यायाधीश के सामने ही अपने पिता पर घातक हमला कर दिया। न्यायाधीश ने कारण पूछा तो उसने नाट्य की उसके अपराधी बनने के मूल में पिता का अंधा प्यार ही था। बचपन में मामा की शादी में उसने पिता के एक साथी की पिस्तौलसे ११ गोलियाँ चला दी थीं।
पिता ने उसे डाँटने के स्थान पर जाँच करने आये पुलिस निरीक्षक को राजनैतिक पहुँच से रुकवा दिया तथा झूठा बयान दिलवा दिया की उसने खिलौनेवाली पिस्तौल चलायी थी।
पहली गलती पर सजा मिल गयी होती तो वह बात-बात पर पिस्तौल का उपयोग करना नहीं सीखता और आज आजीवन कारावास नहीं पाता।
पिता उसका अपराधी है जिसे दुनिया की कोई अदालत या कानून दोषी नहीं मानेगा इसलिए वह अपने अपराधी को दंडित कर संतुष्ट है, अदालत उसे एक जन्म के स्थान पर दो जन्म का कारावास दे दे तो भी उसे स्वीकार है।
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