जीवन: द्विपदी
नहीं खास की उपस्थिति, बिन जीवन हो व्यर्थ।
दे अनुभूति विशिष्ट ही, जीवन को नव-अर्थ।।
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
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