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रविवार, 16 सितंबर 2012

चित्र पर कविता: ८ परिश्रम

चित्र पर कविता: ८
परिश्रम 

इस स्तम्भ की अभूतपूर्व सफलता के लिये आप सबको बहुत-बहुत बधाई. एक से बढ़कर एक रचनाएँ अब तक प्रकाशित चित्रों में अन्तर्निहित भाव सौन्दर्य के विविध आयामों को हम तक तक पहुँचाने में सफल रहीं हैं. संभवतः हममें से कोई भी किसी चित्र के उतने पहलुओं पर नहीं लिख पाता जितने पहलुओं पर हमने रचनाएँ पढ़ीं. 

चित्र और कविता की कड़ी १ में शेर-शेरनी संवाद, कड़ी २ में पराठा, दही, मिर्च-कॉफी,
कड़ी ३ में दिल-दौलत, चित्र ४ में रमणीक प्राकृतिक दृश्य, चित्र ५ हिरनी की बिल्ली शिशु पर ममता,  चित्र ६ में पद-चिन्ह, चित्र ७ जागरण में ऊर्जस्वित मानव के पश्चात प्रस्तुत है चित्र ८ परिश्रम. ध्यान से देखिये यह नया चित्र और रच दीजिये एक अनमोल कविता.


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