बाल कविता:
चूजे भाई!
कितने अच्छे लगते हो तुम |
बिना जगाये जगते हो तुम ||
नहीं किसी को ठगते हो तुम |
सदा प्रेम में पगते हो तुम ||
दाना-चुग्गा मंगते हो तुम |
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||
आलस कैसे तजते हो तुम?
क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?
चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |
बिल्ली से डर बचते हो तुम ||
क्या माला भी जपते हो तुम?
शीत लगे तो कँपते हो तुम?
सुना न मैंने, हँसते हो तुम?
चूजे भाई! रुचते हो तुम |
चूजे भाई!
संजीव 'सलिल'
*कितने अच्छे लगते हो तुम |
बिना जगाये जगते हो तुम ||
नहीं किसी को ठगते हो तुम |
सदा प्रेम में पगते हो तुम ||
दाना-चुग्गा मंगते हो तुम |
चूँ-चूँ-चूँ-चूँ चुगते हो तुम ||
आलस कैसे तजते हो तुम?
क्या प्रभु को भी भजते हो तुम?
चिड़िया माँ पा नचते हो तुम |
बिल्ली से डर बचते हो तुम ||
क्या माला भी जपते हो तुम?
शीत लगे तो कँपते हो तुम?
सुना न मैंने, हँसते हो तुम?
चूजे भाई! रुचते हो तुम |
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टिप्पणी: यह रचना चौपाई छंद में है. हर पंक्ति में १६ मात्राएँ हैं. पहली २ तथा बाद में हर दूसरी पंक्ति का अंत 'ते हो तुम' से हुआ है, ऐसी कविता को मुक्तिका या ग़ज़ल कहते हैं. साधारणतः चौपाई में चार चरण, दो पंक्तियाँ होती हैं और वह किसी विषय पर केन्द्रित नहीं होती, यहाँ 'चूजे' को केंद्र में रखकर लिखी गयी चौपाइयाँ हैं. पढ़ो और आनंद लो. किसी जानकर से पूछना कि पदांत-तुकांत (काफिया-रदीफ़) क्या है.
टिप्पणी: यह रचना चौपाई छंद में है. हर पंक्ति में १६ मात्राएँ हैं. पहली २ तथा बाद में हर दूसरी पंक्ति का अंत 'ते हो तुम' से हुआ है, ऐसी कविता को मुक्तिका या ग़ज़ल कहते हैं. साधारणतः चौपाई में चार चरण, दो पंक्तियाँ होती हैं और वह किसी विषय पर केन्द्रित नहीं होती, यहाँ 'चूजे' को केंद्र में रखकर लिखी गयी चौपाइयाँ हैं. पढ़ो और आनंद लो. किसी जानकर से पूछना कि पदांत-तुकांत (काफिया-रदीफ़) क्या है.
5 टिप्पणियां:
"रुनझुन" " बाल कविता: चूजे भाई! " :
बहुत अच्छी लगी ये कविता और इसे पढ़कर मुझे उस चिड़िया और उसके बच्चों की याद आ गयी जो एक वर्ष पहले हमारे साथ हमारे पुराने घर में रहती थी।
"रुनझुन" द्वारा नन्हा मन के लिए July 25, 2011 5:23 PM
vandana ने आपकी पोस्ट " बाल कविता: चूजे भाई! -- स... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
" बाल कविता: चूजे भाई! "
अच्छी लगी यह बाल कविता
vandana July 26, 2011 6:23 AM
vandana
Akshita (Pakhi) ने आपकी पोस्ट " बाल कविता: चूजे भाई! -- स... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
यह तो बहुत प्यारी कविता है..अच्छी लगी.
_________________
'पाखी की दुनिया' में भी घूमने आइयेगा.
Akshita (Pakhi) द्वारा नन्हा मन के लिए July 26, 2011 9:38 AM
Surendra shukla" Bhramar"5
चूजे भाई इतना बड़ा मुह खोल कली जैसे खिल गए -बहुत मजा लगाते हो तुम -भोर में ही चूं चूं कर के पढने के लिए उठाते हो --
भ्रमर ५
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया
August 04, 2011 9:01 PM
" कितने अच्छे लगते हो तुम | "
भई वाह ....
आनंद आ गया चूजे भई पर ऐसी रचना कोई बाल ह्रदय ही कर सकता है !
बधाई !
--
सतीश सक्सेना
मेरे गीत
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