ॐ
छंदशाला १०
ताण्डव छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग, निधि, दीप, अहीर शिव, भव तथा तोमर छंद)
•
विधान-
प्रति पद १२ मात्रा, पदादि-पदांत लघु।
लघु आदि-अंत ताण्डव।
बारह मात्रिक लाघव।
शिव नचें, शिवा अपलक।
मोहित देखें इकटक।।
उदाहरण
सरहद रखवाले हम।
अरि समझे हमें न कम।।
दिल दहले फेंको बम।
अरि-दल दल में हो मातम।।
करना मत तनिक रहम।
घर-घर में घूमे यम।।
निकले नहिं जब तक दम।
करना अरि-दल को कम।।
बिन रहम करो बेदम।
दनु हों धरती से कम।।
(काव्य रूप - हिंदी ग़ज़ल/मुक्तिका)
२५-९-२०२२
•••
छंदशाला ९
तोमर छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग, निधि, दीप, अहीर शिव तथा भव छंद)
•
विधान-
प्रति पद १२ मात्रा, पदांत गुरु लघु।
बारह कल रहें साथ।
तोमर में लिए हाथ।
गुरु लघु पद अंत मीत।
निभा सकें अटल प्रीत।।
उदाहरण
आल्हा तलवार थाम।
जूझ पड़ा बिन विराम।।
दुश्मन दल मुड़ा भाग।
प्राणों से हुआ राग।।
ऊदल ने लगा होड़।
जा पकड़ा बाँह तोड़।।
अरि भय से हुआ पीत।
चरण-शरण मुआ भीत।।
प्राणों की माँग भीख।
भागा पर मिली सीख।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला ८
भव छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग, निधि, दीप, अहीर तथा शिव छंद)
•
विधान-
प्रति पद ११ मात्रा, पदांत यगण।
भव का भय भुला रे।
यगण अंत लगा रे।।
ग्यारह कल जमाएँ।
कविता गुनगुनाएँ।।
उदाहरण-
अरि से डर न जाएँ।
भय से मर न जाएँ।।
बना न अब बहाना।
लगा सही निशाना।।
आँख मिला न पाए।
दुश्मन बच न पाए।।
शीश सदा उठाएँ।
मुट्ठियाँ लहराएँ।।
पताका फहराएँ।
जय के गीत गाएँ।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला ७
शिव छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग, निधि, दीप तथा अहीर छंद)
विधान-
प्रति पद ११ मात्रा, पदांत सरन।
एकादश शिव भज मन।
पद अंत रखो सरन।।
रख भक्ति पूज उमा।
माँ सदय करें क्षमा।।
उदाहरण-
नदी नर्मदा नहा।
श्रांति-क्लांति दे बहा।
धुआँधार घूम ले।
संग देख झूम ले।।
लहर-लहर मचलती।
नाच मीन फिसलती।।
ईश भक्ति तारती।
पूज करो आरती।।
गहो देव की शरण।
करो नेक आचरण।।
२५-९-२०२२
•••
छंदशाला ६
अहीर छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग, निधि तथा दीप छंद)
•
विधान-
प्रति पद १२ मात्रा, पदांत जगण।
ग्यारह कला अहीर।
पद-अंत जगण सुधीर।।
रौद्र जातीय छंद।
रस गंग हो न मंद।।
उदाहरण-
भारत देश महान।
देव भूमि शुभ जान।।
नगपति हिमगिरि ताज।
जन हितमयी सुराज।।
जनगण धीर उदार।
पलता हर दिल प्यार।।
हैं अनेक पर एक।
जाग्रत रखें विवेक।।
देश हेतु बलिदान।
होते विहँस जवान।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला ५
दीप छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि, गंग तथा निधि छंद)
•
विधान-
प्रति पद दस मात्रा, पदांत नगण गुरु लघु।
बाल कर दस दीप।
रख प्रभु-पग महीप।।
नगण गुरु लघु साथ।
पद अंत नत माथ।।
उदाहरण-
हो पुलकित निशांत।
गगनपति रवि कांत।।
प्राची विहँस धन्य।
कहे नमन प्रणम्य।।
दें धरणि उजियार।
बाँट कण-कण प्यार।।
रच पुलक शुभ गीत।
हँसे कलम विनीत।।
कूक पिक हर शाम।
करे विनत प्रणाम।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला ४
निधि छंद
(अब तक पठित छंद- सुगती, छवि तथा गंग छंद)
•
विधान-
प्रति पद नौ मात्रा, पदांत लघु।
निधि नौ न बिसार।
तुम लो न उधार।।
लघु अंत न भूल।
चुभ सके न शूल।।
उदाहरण-
जग सको उजार।
कुछ करो सुधार।।
हँस, भुला न नीत।
झट पाल न प्रीत।।
यदि कर उपकार।
मत समझ उधार।।
उठ उगा विहान।
मत मिटा निशान।।
बन फूल गुलाब।
अब छोड़ हिजाब।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला ३
गंग छंद
(सुगती छंद तथा छवि छंद के बाद)
•
विधान-
प्रति पद नौ मात्रा, पदांत दो गुरु।
अंक नौ सीखो।
सफलतम दीखो।।
अंत गुरु दो हो।
गंग रच डोलो।।
उदाहरण-
सूरज उगाओ।
तम को मिटाओ।।
आलस्य छोड़ो।
नाहक न जोड़ो।।
रखो दोस्ताना।
करो न बहाना।।
सच मत बिसारो।
दुनिया सँवारो।।
पौधे लगाओ।
सींचो बढ़ाओ।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला २
वासव जातीय, छवि छंद
•
विधान-
प्रति पद आठ मात्रा, पदांत जगण।
अठ वसु न भूल।
छवि सदृश फूल।।
रख जगण अंत।
रच छंद कंत।।
उदाहरण-
पुरखे अनाम।
पुरखों प्रणाम।।
तुम थे महान।
हम हों महान।।
कर काम चाम।
हो कीर्ति-नाम।।
तन तज न राग।
मन वर विराग।।
जप ईश-नाम।
चुप सुबह-शाम।।
२५-९-२०२२
•••
ॐ
छंदशाला १
लौकिक जातीय, सुगती छंद
•
विधान-
प्रति पद सात मात्रा, पदांत गुरु।
उदाहरण-
सत लोक है।
सुख-शोक है।।
धीरज धरो।
साहस वरो।।
कुछ काम हो।
कुछ नाम हो।।
कुछ नित पढ़ो।
कुछ नित लिखो।।
जीवन खिले।
सुगती मिले।।
२५-९-२०२२
•••
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें