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मंगलवार, 6 अप्रैल 2021

शिव

विमर्श 
शिव 
* विश्वनाथ भी हैं, महाकाल भी। 
* शिव निराकार हैं, ज्योति पुंज हैं। 
* शिव ही सत्य, शिव और सुन्दर हैं।
* शिव निराकार ब्रह्म और साकार देव हैं।
* शिव की शरण में ही सत्, चित्, आनंद है।
* शिव सूक्ष्म से सूक्ष्म हैं, हर काया में उनका निवास है।
* शिव सूक्ष्म से सूक्ष्म, विशाल से विशाल, निराकार परमात्मा हैं।  
* सिख धर्म कहता है-  एको जपो एको सालाहि ! 
                                  एको सिमरि एको मन आहि,!!
                                  ऐकस के गन गाऊ अनंत !,
                                  मनि तनि जापि एक भगवंत !!
* शिव की मक्का में मुसलमान 'संगे अस्वद' कहकर परिक्रमा करते हैं।
* शिव ही "देवनामधा" समस्त देवताओं के नाम को धारण करता है। -ऋग्वेद 
* शिव ही सत्य है जिसे मानने से पूरी मानव जाति ईश्वर के नाम पर एक होगी। 
* ॐ को ९० अंश घडी की दिशा में घुमाने पर इसको अल्लाह भी पढ़ा जा सकता है।
* जैन धर्म का महामंत्र शिव वंदन कर कहता है- "ओमणमो" निराकार ओम को नमन।
* शिव का अंडाकार (लिंगाकार) रूप ब्रह्माण्ड का पर्याय है जिसमें समस्त सृष्टि समाई है।  
* शिव का एकाक्षरी का नाम ॐ  है। यह पृथ्वी व अन्य ग्रहों के घूर्णन उत्पन्न ध्वन्यात्मक नाद है। 
* शिव ही शंकर (शंकारि = शंका का शत्रु =विश्वास, विष वास नहीं) हैं। उनकी अर्धांगिनी श्रद्धा स्वरूपा उमा हैं।
* शिव विश्व अध्यात्म का केंद्र बिंदु हैं।  वे सर्वज्ञ (OMNICIENT), सर्वशक्तिशाली (OMNIPOTENT), सर्व व्यापी (OMNIPRESENT),       प्रभु की ख़ुशी (OMEGA), भोला (OMAR) हैं। 

 
 
  
 

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