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बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

navgeet: sanjiv

नवगीत : 
संजीव
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दुनिया 
बहुत सयानी लिख दे 
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कोई किसी की पीर न जाने 
केवल अपना सच, सच माने 
घिरा तिमिर में 
जैसे ही तू  
छाया भी 
बेगानी लिख दे 
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अरसा तरसा जमकर बरसा 
जनमत इन्द्रप्रस्थ में  सरसा
शाही सूट 
गया ठुकराया  
आयी नयी 
रवानी लिख दे 
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अनुरूपा फागुन ऋतु हर्षित 
कुसुम कली नित प्रति संघर्षित 
प्रणव-नाद कर 
जनगण जागा 
याद आ गयी 
नानी लिख दे 
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भूख गरीबी चूल्हा चक्की 
इनकी यारी सचमुच पक्की 
सूखा बाढ़ 
ठंड या गर्मी 
ड्योढ़ी बाखर 
छानी लिख दे 
सिहरन खलिश ख़ुशी गम जीवन 
उजली चादर, उधड़ी सीवन
गौरा वर  
धर कंठ हलाहल
नेह नरमदा 
पानी लिख दे 
.

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