फाग-नवगीत
संजीव
.
राधे! आओ, कान्हा
टेरें
लगा रहे पग-फेरे,
राधे! आओ कान्हा
टेरें
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मंद-मंद मुस्कायें
सखियाँ
मंद-मंद मुस्कायें
मंद-मंद मुस्कायें,
राधे बाँकें नैन
तरेरें
.
गूझा खांय, दिखायें
ठेंगा,
गूझा खांय दिखायें
गूझा खांय दिखायें,
सब मिल रास रचायें
घेरें
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विजया घोल पिलायें
छिप-छिप
विजया घोल पिलायें
विजय घोल पिलायें,
छिप-छिप खिला भंग
के पेड़े
.
मलें अबीर कन्हैया
चाहें
मलें अबीर कन्हैया
मलें अबीर कन्हैया
चाहें
राधे रंग बिखेरें
.
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