शबाना आज़मी को सम्मान क्यों? ---विजय राजबली माथुर
हिंदुस्तान,लखनऊ, 05 अप्रैल 2012 को प्रकाशित चित्र जो राष्ट्रपति महोदया से 'पद्म भूषण' लेते समय हिंदुस्तान,आगरा,03 जून,2007 को प्रकाशित कुंडली
शीर्षक देख कर चौंके नहीं। मै शबाना आज़मी जी को पुरस्कार प्राप्त होने का न कोई विरोध कर रहा हू और न यह कोई विषय है। मै यहाँ आपको प्रस्तुत शबाना जी की जन्म कुंडली के आधार पर उन ग्रह-नक्षत्रो से परिचय करा रहा हूँ जो उनको सार्वजनिक रूप से सम्मान दिलाते रहते हैं।
शुक्र की महा दशा मे राहू की अंतर्दशा 06 मार्च 1985 से 05 मार्च 1988 तक फिर ब्रहस्पत की अंतर्दशा 05 नवंबर 1990 तक थी। इस दौरान शबाना आज़मी को 'पद्म श्री' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी कुंडली मे पंचम भाव मे चंद्रमा,सप्तम भाव मे बुध,अष्टम भाव मे शुक्र और दशम भाव मे ब्रहस्पत स्व-ग्रही हैं। इन अनुकूल ग्रहो ने शबाना जी को कई फिल्मी तथा दूसरे पुरस्कार भी दिलवाए हैं। वह कई बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री भी इनही ग्रहो के कारण चुनी गई हैं। सूर्य और ब्रहस्पत की स्थिति ने उन्हे राजनीति मे भी सक्रिय रखा है। वह भाकपा की कार्ड होल्डर मेम्बर भी रही हैं। 06 नवंबर 1996 से 05 जनवरी 1998 तक वह शुक्र महादशा मे केतू की अंतर्दशा मे थीं तभी उन्हे राज्य सभा के लिए नामित किया गया था।
वर्तमान 'पद्म भूषण'पुरस्कार ग्रहण करते समय चंद्रमा की महादशा के अनर्गत शुक्र की अंतर्दशा चल रही है जो 06 नवंबर 2011 से लगी है और 05 जूलाई 2013 तक रहेगी।* यह समय स्वास्थ्य के लिहाज से कुछ नरम भी हो सकता है। हानि,दुर्घटना अथवा आतंकवादी हमले का भी सामना करना पड़ सकता है। अतः खुद भी उन्हे सतर्क रहना चाहिए और सरकार को भी उनकी सुरक्षा का चाक-चौबन्द बंदोबस्त करना चाहिए। इसके बाद 29 नवंबर 2018 तक समय उनके अनुकूल रहेगा।
शबाना जी की जन्म लग्न मे राहू और पति भाव मे केतू बैठे हैं जिसके कारण उनका विवाह विलंब से हुआ। पंचम-संतान भाव मे नीच राशि का मंगल उनके संतान -हींन रहने का हेतु है। यदि समय पर 'मंगल' ग्रह की शांति कारवाई गई होती तो वह कन्या-संतान प्राप्त भी कर सकती थी। इसी प्रकार वर्तमान अनिष्टकारक समय मे 'बचाव व राहत प्राप्ति' हेतु उन्हें शुक्र मंत्र-"ॐ शु शुकराय नमः " का जाप प्रतिदिन 108 बार पश्चिम की ओर मुंह करके और धरती व खुद के बीच इंसुलेशन बना कर अर्थात किसी ऊनी आसन पर बैठ कर करना चाहिए।
कुछ तथाकथित प्रगतिशील और तथाकथित विज्ञानीज्योतिष की कटु आलोचना करते हैं और इसके लिए जिम्मेदार हैं ढ़ोंगी लोग जो जनता को उल्टे उस्तरे से मूढ़ते हैं। ऐसे ही लोगो के कारण 'मानव जीवन को सुंदर,सुखद व समृद्ध'बनाने वाला ज्योतिष विज्ञान हिकारत की नजरों से देखा जाता है। ये ग्रह-नक्षत्र क्या हैं और इंनका मानव जीवन पर प्रभाव किस प्रकार पड़ता है यदि यह समझ आ जाये तो व्यक्ति दुखो व कष्टो से बच सकता है यह पूरी तरह उस व्यक्ति पर ही निर्भर है जो खुद ही अपने भाग्य का निर्माता है। जो भाग्य को कोसते हैं उनको विशेषकर नीचे लिखी बातों को ध्यान से समझना चाहिए की भाग्य क्या है और कैसे बंनता या बिगड़ता है-
सदकर्म,दुष्कर्म,अकर्म -का फल जो व्यक्ति अपने वर्तमान जीवन मे प्राप्त नहीं कर पाता है आगामी जीवन हेतु संचित रह जाता है। ये कर्मफल भौतिक शरीर नष्ट होने के बाद आत्मा के साथ-साथ चलने वाले कारण शरीर और सूक्ष्म शरीर के साथ गुप्त रूप से चलते रहते हैं। आत्मा के चित्त पर गुप्त रूप से अंकित रहने के कारण ही इन्हे 'चित्रगुप्त' संज्ञा दी गई है। चित्रगुप्त ढोंगियों द्वारा बताया गया कोई देवता या कायस्थों का सृजक नहीं है।
कर्मानुसार आत्मा 360 डिग्री मे बंटे ब्रह्मांड मे (भौतिक शरीर छोडने के बाद ) प्रतिदिन एक-एक राशि मे भ्रमण करती है और सदकर्म,दुष्कर्म,अकर्म जो अवशिष्ट रहे थे उनके अनुसार आगामी जीवन हेतु निर्देश प्राप्त करती है। 30-30 अंश मे फैली एक-एक राशि के अंतर्गत सवा दो-सवा दो नक्षत्र आते हैं। प्रत्येक नक्षत्र मे चार-चार चरण होते हैं। इस प्रकार 12 राशि X 9 ग्रह =108 या 27 नक्षत्र X4 चरण =108 होता है। इसी लिए 108 को एक माला का क्रम माना गया है जितना एक बार मे जाप करना निश्चित किया गया है। इस जाप के द्वारा अनिष्ट ग्रह की शांति उच्चारण की तरंगों (VIBRATIONS) द्वारा उस ग्रह तक संदेश पहुंचाने से हो जाती है।
जन्मपत्री के बारह भाव 12 राशियों को दर्शाते हैं और जन्म समय ,स्थान और तिथि के आधार पर ज्ञात 'लग्न' के अनुसार अंकित किए जाते हैं। नवो ग्रह उस समय की आकाशीय स्थिति के अनुसार अंकित किए जाते हैं। इनही की गणना से आगामी भविष्य का ज्ञान होता है जो उस व्यक्ति के पूर्व जन्म मे किए गए सदकर्म,दुष्कर्म एवं अकर्म पर आधारित होते हैं। अतः व्यक्ति खुद ही अपने भाग्य का निर्माता है वह बुद्धि,ज्ञान व विवेक का प्रयोग कर दुष्प्रभावो को दूर कर सकता है या फिर लापरवाही करके अच्छे को बुरे मे बदल डालता है।
उपरोक्त कुंडली का विश्लेषण वैज्ञानिक आधार पर है। कुंडली जैसी अखबार मे छ्पी उसे सही मान कर विश्लेषण किया गया है।
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