दोहा सलिला:
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दोहा रसनिधि चाहते, जो वे चतुर सुजान
जिनका दिल रसलीन है, जिनका मन रसखान।
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गौ भाषा को दूहता, दोहा दे नव अर्थ
चमत्कार-लय चाहिए, रस बिन दोहा व्यर्थ
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दोहा दुनिया में नहीं, ताकतवर का दाम
दिलवर की ही कद्र है, भले लक्ष्मी वाम
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गोबर में भी देखता, दोहा दिव्य गणेश
सार-सार ले गह सदा, थोथा रखे न लेश
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पत्थर में भगवान है, देख सके तो देख
प्रभु लेकिन पत्थर नहीं, खिंचे न जल में रेख
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