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शनिवार, 16 नवंबर 2013

chhand salila: indra vajraa


छंद सलिला:
इंद्रा वज्रा छंद
सलिल
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इस द्विपदिक मात्रिक चतुःश्चरणी छंद के हर पद में २ तगण, १ जगण तथा २ गुरु मात्राएँ होती हैं. इस छंद का प्रयोग मुक्तक हेतु भी किया ज सकता है.
इन्द्रवज्रा एक पद = २२१ / २२१ / १२१ / २२ = ११ वर्ण तथा १८ मात्राएँ
उदाहरण:
१. तोड़ो न वादे जनता पुकारे
   बेचो-खरीदो मत धर्म प्यारे
   लूटो तिजोरी मत देश की रे!
   चेतो न रूठे, जनता न मारे
२. नाचो-नचाओ मत भूलना रे!
   आओ! न जाओ, कह चूमना रे!
   माशूक अपनी जब साथ में हो-
   झूमो, न भूले हँस झूलना रे!
३. पाया न / खोया न / रखा न / रोका
   बोला न / डोला न / कहा न / टोंका
   खेला न / झेला न / तजा न / हारा
   तोडा न / फोड़ा न / पिटा न / मारा
४. आराम / ही राम / हराम / क्यों हो?
   माशूक / के नाम / पयाम / क्यों हो?
   विश्वास / प्रश्वास / नि:श्वास टूटा-
   सायास / आभास / हुलास /  झूठा
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facebook: sahiyta salila / sanjiv verma 'salil'

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